Gwalior News: जिले के शहरी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी में पोषण आहार की सप्लाई के नए टेंडर को ही होल्ड करा दिया गया है। चौंकाने की बात है कि जुलाई 2023 में शहरी क्षेत्र की 660 आंगनबाड़ियों के लिए टेंडर कर दिए गए थे, 147 स्व सहायता समूहों ने आवेदन दिए और टेंडर खुल भी गए।
By anil tomar
Publish Date: Thu, 28 Mar 2024 10:26 AM (IST)
Updated Date: Thu, 28 Mar 2024 10:26 AM (IST)
HighLights
- पुराने 60-65 समूह ही चला रहे व्यवस्था
- नए के टेंडर खुलने के बाद भी आदेश नहीं
Gwalior News: ग्वालियर(नप्र)। जिले के शहरी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी में पोषण आहार की सप्लाई के नए टेंडर को ही होल्ड करा दिया गया है। चौंकाने की बात है कि जुलाई 2023 में शहरी क्षेत्र की 660 आंगनबाड़ियों के लिए टेंडर कर दिए गए थे, 147 स्व सहायता समूहों ने आवेदन दिए और टेंडर खुल भी गए। अलग-अलग समूहों को टुकड़ों में काम बांटा गया, लेकिन आदेश जारी नहीं किया गया। अब भी पुराने स्व-सहायता समूहों के पास ही पूरी व्यवस्था है जिनके पीछे नेता-ठेकेदार जैसे चेहरे हैं। पहले विस चुनाव की व्यस्तता का बहाना था इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले नई व्यवस्था लागू नहीं की। अब इसका फायदा नेता-ठेकेदार ले रहे हैं क्योंकि अफसरों ने इस मामले में कोई चिंता नहीं की।
बता दें कि ग्वालियर जिले के शहरी क्षेत्र में 660 आंगनबाड़ी केंद्र आते हैं जहां स्व-सहायता समूहों की ओर से केंद्र में आने वाले बच्चों के लिए भोजन की सप्लाई का काम किया जाता है। शहरी क्षेत्रों की आंगनबाड़ियों की सप्लाई में चंद पहुंचवाले नेता और ठेकेदारों के हाथों में पूरा नियंत्रण होने का मामला पहले भी गरमा चुका है जिसके बाद ज्वाइंट डायरेक्टर महिला और बाल विकास विभाग की ओर से जांच की गई। इसमें यह भी पता चला कि एक भाजपा से जुड़े नेता के पास तीन सौ से ज्यादा आंगनबाड़ियों का काम है और एक कारोबारी के पास सौ से ज्यादा आंगनबाड़ियां हैं। इसके बाद अलग-अलग वर्ग के लोगों पर 20 से लेकर 50 तक आंगनबाड़ियों का काम है। यह पूरा सिंडीकेट तोड़ने के लिए समूहों की गहराई से जांच हुई और नया टेंडर डाला गया। 147 समूहों ने नए टेंडर में आवेदन किए और नगर निगम की ओर से इनका सत्यापन भी किया जा चुका है। अब इसी टेंडर के होन के बाद भी आदेश जारी नहीं किया गया।
गड़बड़ी करने वालों के लिए अवसर
प्रशासन की जांच हो या लेटलतीफी गड़बड़ी करने वालों को इससे पूरा अवसर दिया गया है। अगर समय पर जुलाई में टेंडर के आदेश भी जारी कर दिए जाते तो आज नए समूहों की महिलाएं काम कर रहीं होतीं व पुरानी गडबड़ियों से भी निजात मिलती। सीधी बात कहीं न कहीं साठगांठ का पूरा खेल तो है। जांच व प्रक्रिया के नाम पर खुलेआम नियमों का मजाक बनाया गया।
शहरी आंगनबाड़ियों में पोषण आहार की व्यवस्था अभी पुराने ही समूह देख रहे हैं, नए टेंडर किए गए लेकिन जांच की प्रक्रिया के चलते समय लग गया। नई व्यवस्था के लिए अभी आदेश नहीं हुए हैं।
-डीएस जादौन, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला व बाल विकास विभाग।